Diwali 2020 Mahurat date & time, Puja Vidhi
It is believed that on the day or
evening of Diwali Maa Lakshmi comes down to earth to visit every household.
Thus, devotes of Goddess Lakshmi desperately wants to welcome & seek
blessing from Goddess in order to gain good fortune and prosperity. And of
course the festival is all about lights, happiness and devotion towards Goddess
Lakshmi.
With simplicity and honesty
everyone can impress goddess Lakshmi. One just needs pure heart and devotion.
So lets discuss the Vidhi or actual method of Lakshmi Pujan at Diwali.
In order to perform Lakshmi Puja we
need some items, now lets talk about them. Ma Lakshmi prefers mostly red &
yellow colored Reshmi (silk) cloths. She likes lotus flower, in fruits she
likes srifal, sitafal, baer, pomegranate. About perfumery she likes kewda, rose
water chandan itra. We also need white rice grains, fresh homemade sweets and
so on. For main or principal diya we must use Ghee (clarified butter) or til ka
teel (sesame oil). Similarly other stuffs like we need sugar cane, lotus beads,
gota haldi (whole turmeric) bel patra, panchmitra, sindur, cowdung and so on.
Mahurat:
Diwali 2020 14th November
Lakshmi Puja Mahurat – 17:23 p.m. to 19:23 p.m.
Pradosh Kaal 17:23 to 20:04
Vrishava Kaal 17:28 to 19:23
Pujan Vidhi (Method)
The method of puja varies depending
upon the region or rituals followed by individual household. One can choose
basic methodology for Lakshmi Puja. The key point is one must have strong faith
and sincere prayers.
Now we see the step wise method of
Lakshmi puja during Diwali or Deepawali.
First of all we need items and
which must be according to our stature or capacity. There are few things which
Goddess prefers them most and by which we can easily get her blessings.
Step 1: Preparation of bed
Spread out a clean cloth preferably
red one and sprinkle some Ganga jal to make it purify. Make a bed of raw white
rice grains and place the Kalash on the bed of rice.
Step 2: Establishment of Kalash
Pour fresh water, few drops of
Ganga jal, a coin, betel nut. Some flowers and some rice grains inside. Brought
some mango leaves and arrange on the opening of kalash. Simply one has to
establish a kalash according to Hindu tradition.
Step 3: Installation of idol or
pictures
After following above process one
has to install an idol or picture/fame of ditey (Goddess Lakshmi & Lord Ganesha).
One can also place or install Goddess Saraswati also and remember Lord Ganesha
usually sits on the right side of Goddess Lakshmi.
Step 4: Purification
Once again with the help of Ganga
jal sprinkle everywhere including all the items and purify yourself and every item
as well. Now, lit the oil lamps and place them perfectly.
Step 5: Recite of Vedic mantras
Now recite Vedic mantras for
invoking Goddess Lakshmi which is available in Puja books or online or
according to your faith and wisdom you can pray to Goddess. Many people also
prefer to recite Lakshmi Chalisa and Lakshmi Stuti.
Step 6: Offerings
Make offering of flowers, garland
of marigold, fruits, sweets, betel nut, perfumeries, incense sticks during
puja.
Step 7: Arati and prasadam
After performing puja sing Ganesha
aarti and Ma Lakshmi aarti along with your family. After this ask Goddess to
forgive any kind of trutis or mistakes. At the end seek blessings from Ma
Lakshmi and distribute prasadam between your family & friends.
Lakshmi Chalisa
दोहा
मातु लक्ष्मी
करि कृपा करो
हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर
पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये
नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे
नत शिर बारंबार॥
टेक॥
सोरठा
यही मोर
अरदास, हाथ जोड़
विनती करूं।
सब विधि
करौ सुवास, जय
जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई
॥
सिन्धु सुता मैं
सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि
विद्या दो मोहि॥
तुम समान
नहिं कोई उपकारी।
सब विधि पुरबहु
आस हमारी॥
जै जै
जगत जननि जगदम्बा।
सबके तुमही हो
स्वलम्बा॥
तुम ही
हो घट घट
के वासी। विनती
यही हमारी खासी॥
जग जननी
जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम
हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं
महारानी। कृपा करौ
जग जननि भवानी।
केहि विधि
स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध
बिसारी॥
कृपा दृष्टि
चितवो मम ओरी।
जगत जननि विनती
सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धि जय
सुख की दाता।
संकट हरो हमारी
माता॥
क्षीर सिंधु जब
विष्णु मथायो। चौदह रत्न
सिंधु में पायो॥
चौदह रत्न
में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभुहिं
बनि दासी॥
जब जब
जन्म जहां प्रभु
लीन्हा। रूप बदल
तहं सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब
नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम
प्रकट जनकपुर माहीं।
सेवा कियो हृदय
पुलकाहीं॥
अपनायो तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन
की स्वामी॥
तुम सब
प्रबल शक्ति नहिं
आनी। कहं तक
महिमा कहौं बखानी॥
मन क्रम
वचन करै सेवकाई।
मन- इच्छित वांछित
फल पाई॥
तजि छल
कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मन
लाई॥
और हाल
मैं कहौं बुझाई।
जो यह पाठ
करे मन लाई॥
ताको कोई
कष्ट न होई।
मन इच्छित फल
पावै फल सोई॥
त्राहि- त्राहि जय
दुःख निवारिणी। त्रिविध
ताप भव बंधन
हारिणि॥
जो यह
चालीसा पढ़े और
पढ़ावे। इसे ध्यान
लगाकर सुने सुनावै॥
ताको कोई
न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन
सम्पत्ति पावै।
पुत्र हीन और
सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर
कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय कै
पाठ करावै। शंका
दिल में कभी
न लावै॥
पाठ करावै
दिन चालीसा। ता
पर कृपा करैं
गौरीसा॥
सुख सम्पत्ति
बहुत सी पावै।
कमी नहीं काहू
की आवै॥
बारह मास
करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य
और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै
मन माहीं। उन
सम कोई जग
में नाहिं॥
बहु विधि
क्या मैं करौं
बड़ाई। लेय परीक्षा
ध्यान लगाई॥
करि विश्वास
करैं व्रत नेमा।
होय सिद्ध उपजै
उर प्रेमा॥
जय जय
जय लक्ष्मी महारानी।
सब में व्यापित
जो गुण खानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल
जग माहीं। तुम
सम कोउ दयाल
कहूं नाहीं॥
मोहि अनाथ
की सुधि अब
लीजै। संकट काटि
भक्ति मोहि दीजे॥
भूल चूक
करी क्षमा हमारी।
दर्शन दीजै दशा
निहारी॥
बिन दरशन
व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत
दुःख सहते भारी॥
नहिं मोहिं
ज्ञान बुद्धि है
तन में। सब
जानत हो अपने
मन में॥
रूप चतुर्भुज
करके धारण। कष्ट
मोर अब करहु
निवारण॥
कहि प्रकार
मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्धि मोहिं
नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहाई
पुकारी। करो दूर
तुम विपति हमारी॥
दोहा
त्राहि त्राहि दुःख
हारिणी हरो बेगि
सब त्रास।
जयति जयति
जय लक्ष्मी करो
शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान
नित विनय करत
कर जोर।
मातु लक्ष्मी
दास पर करहु
दया की कोर॥
।। इति
लक्ष्मी चालीसा संपूर्णम।।
Lakshmi Stuti
मां लक्ष्मी
स्तुती
आदि लक्ष्मि
नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि
धनं देहि सर्व
कामांश्च देहि मे।।1।।
संतान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।3।।
धन लक्ष्मि
नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य
नाशिनि।
धनं देहि
श्रियं देहि सर्व
कामांश्च देहि मे।।4।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।5।।
मेधा लक्ष्मि
नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष
नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।6।।
गज लक्ष्मि
नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि
सर्व कामांश्च देहि
मे।।7।।
धीर लक्ष्मि
नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।8।।
जय लक्ष्मि
नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य
जयप्रदे।
जयं देहि
शुभं देहि सर्व
कामांश्च देहि मे।।9।।
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।10।।
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।11।।
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि
सर्व कामांश्च देहि
मे।।12।।
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।13।।
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि
श्रियं देहि सर्व
कामांश्च देहि मे।।14।।
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु
भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं
देहि सर्व कामांश्च
देहि मे।।15।।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये
मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं
देहि मे सदा।।16।।
सर्व मङ्गल
माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ
साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि
नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।
शुभं भवतु
कल्याणी आयुरारोग्य संपदाम्।
Ganesha Aarti
जय गणेश,
जय गणेश, जय
गणेश देवा।
माता जाकी
पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार
भुजाधारी,
माथे सिन्दूर
सोहे, मूस की
सवारी।
पान चढ़े,
फूल चढ़े और
चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग
लगे, सन्त करें
सेवा।। ..
जय गणेश,
जय गणेश, जय
गणेश, देवा।
माता जाकी
पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को
आंख देत, कोढ़िन
को काया,
बांझन को पुत्र
देत, निर्धन को
माया।
'सूर' श्याम
शरण आए, सफल
कीजे सेवा।।
जय गणेश
जय गणेश जय
गणेश देवा ..
माता जाकी
पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की
लाज रखो, शंभु
सुतकारी।
कामना को पूर्ण
करो जय बलिहारी।
Ma Lakshmi Aarti
ॐ जय
लक्ष्मी माता, तुमको निस
दिन सेवत,
मैया जी
को निस दिन
सेवत
हर विष्णु
विधाता || ॐ जय
||
उमा रमा
ब्रम्हाणी, तुम ही
जग माता
ओ मैया
तुम ही जग
माता
सूर्य चन्द्र माँ
ध्यावत, नारद ऋषि
गाता || ॐ जय
||
दुर्गा रूप निरंजनी,
सुख सम्पति दाता
ओ मैया
सुख सम्पति दाता
जो कोई
तुम को ध्यावत,
ऋद्धि सिद्धि धन
पाता || ॐ जय
||
तुम पाताल
निवासिनी, तुम ही
शुभ दाता
ओ मैया
तुम ही शुभ
दाता
कर्म प्रभाव
प्रकाशिनी, भव निधि
की दाता || ॐ
जय ||
जिस घर
तुम रहती तहँ
सब सदगुण आता
ओ मैया
सब सदगुण आता
सब सम्ब्नव
हो जाता, मन
नहीं घबराता || ॐ
जय ||
तुम बिन
यज्ञ न होता,
वस्त्र न कोई
पाता
ओ मैया
वस्त्र ना पाटा
खान पान
का वैभव, सब
तुम से आता
|| ॐ जय ||
शुभ गुण
मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि
जाता
ओ मैया
क्षीरोदधि जाता
रत्ना चतुर्दश तुम
बिन, कोई नहीं
पाता || ॐ जय
||
धुप दीप
फल मेवा, माँ
स्वीकार करो
मैया माँ
स्वीकार करो
ज्ञान प्रकाश करो
माँ, मोहा अज्ञान
हरो || ॐ जय
||
महा लक्ष्मीजी
की आरती, जो
कोई जन गाता
ओ मैया
जो कोई गाता
उर आनंद
समाता, पाप उतर
जाता || ॐ जय
||